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भारत की राजनीति

 भारत की राजनीति

                                    भारत की राजनीति संविधान के ढांचे में काम करती है। जहां पर राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता है और प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।
भारत एक संघीय संसदीय, लोकतांत्रिक गणतंत्र है, भारत एक द्वी- राजतंत्र का अनुसरण करता है अर्थात् केंद्र में एक केन्द्रीय सत्ता वाली सरकार और परिधि में राज्य सरकारें।


संविधान में संसद के द्वी- सदनीयता का प्रावधान है, जिसमें एक ऊपरी सदन (राज्यसभा) जो भारतीय संघ के राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करता है और निचला सदन (लोक सभा) जो भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करता है, सम्मिलित हैं।

शासन एवं सत्ता सरकार के हांथ में होती है। संयुक्त वैधानिक बागडोर सरकार एवं संसद के दोनों सदनों, लोक सभा एवं राज्य सभा के हांथ में होती है। न्याय मण्डल शासकीय एवं वैधानिक, दोनों से स्वतन्त्र होता है।

संविधान के अनुसार, भारत एक प्रधान, समाजवादी, धर्म- निरपेक्ष, लोकतांत्रिक राज्य है, जहां पर सरकार जनता के द्वारा चुनी जाती है। बहुमत की स्थिति में न होने पर सरकार न बना पाने की दशा में,अथवा विशेष संवैधानिक परिस्थिति के अंतर्गत, केन्द्र सरकार राज्य सरकार को निष्काशित कर सकती है और सीधे संयुक्त शासन लागू कर सकती है, जिसे राष्ट्रपति शासन कहते हैं।

 भारत का पूरा राजनीतिक खेल मंत्रियों के द्वारा निर्धारित होता है। भारत एक लोतांत्रिक, धार्मिक और सामुदायिक देश है। जहां युवावों में चुनाव का बड़ा वोट केन्द्र भारतीय राजनीति में बना रहता है यहां चुनाव को लोकतांत्रिक पर्व की तरह बनाया जाता है। भारत में राजनीतिक राज्य में नीति करने की तरह है।

भारत की राजनीति ऐसी राजनीति है जो आज के समय में लोकतंत्र के सबसे सही पायदान पर है भारत की राजनीति जिसमें सभी व्यक्ति को समानता अधिकार प्राप्त करने के लिए चुनाव होता है और वही हो रहा है भारत की राजनीति बाजार की तरह थी लेकिन वर्तमान सरकार की वज़ह से अत्यधिक पारदर्शी हो गई है और भारत की राजनीति को अलग अलग तरीकों से जैसे बाजार का कोई भी सामान अलग अलग मूल्य से काम नहीं हो सकता था।

भारत एक लोकतंत्र देश है लेकिन इस देश में लोकतंत्र का कोई महत्व दिखाई नहीं पड़ रहा था, लोकतंत्र को दिखाई देने के लिए एक क्रमबद्ध तरीके से लोकतंत्र चुनाव तब का समय था कि केवल अपने फायदे के लिए जनता को आगे करे जा रहे थे राजनीति पूरी तरह से भारत के नाममात्र की रह चुकी थी राजनीति नहीं यह तो राज्य नीति है राजनीति का सही अर्थ है राज्य की नीति को कैसे सुचारु रूप से चलाया जाए जो कि पहली बार देश में देखने को मिल रहा है।

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