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//ee ▁ ▂ ▄⍟☆⍣ Happy Raksha Bandhan ⍣☆⍟▄ ▂ ▁ ▁ ▂ ▄⍟☆⍣ Happy Raksha Bandhan ⍣☆⍟▄ ▂ ▁ चन्दन का टीका रेशम का धागा, सावन की सुगंध बारिश की फुहार! भाई की उम्मीद बहना का प्यार, मुबारक हो आपको “रक्षा बंधन” का त्यौहार!! चंदन की लकड़ी फूलों का हार अगस्त का महीना सावन की फुहार भैया की कलाई बहन का प्यार मुबारक हो आपको रक्षाबंधन का त्योहार Happy Raksha Bandhan ...

भगवान् गणेश के प्रथम पूज्य बनने की कहानी

भगवान् गणेश प्रथम पूज्य कैसे बनें?


ब्रम्हा जी ने जब सभी देवताओं में प्रथम पूज्य होने का निर्णय करने लगे, तब यह तय किया गया कि जो देव पृथ्वी की परिक्रमा पहले करके आएगा वही प्रथम पूज्य माना जाएगा।
गणेश भगवान् का मूषक कैसे सबसे पहले दौड़े।पुरानांतर

श्लोक :-

'चरण मात- पितु के धर लिन्हे,

'तिनके सात प्रदक्षिणा किन्हें;

'धनि गणेश कहि शिव हिय हर्श्यो;

'नभ ते सुरण- सुमन बहु बर्श्यो।

अर्थात् :-
          माता- पिता को समूचा लोक माना और उनकी सात परिक्रमा कर ली। शिव जी का हृदय यह देखकर प्रसन्न हो गया और आकाश से पुष्पों की वर्षा होने लगी। यह बात तय है कि गणेश भगवान् शेष देवताओं से पहले पहुंचे। उनकी यह बुध्दि- कौतुक देखकर ब्रम्हा जी ने उन्हें प्रथम पूज्य बनाया। अतः प्रत्येक कार्य में उनकी प्रथम पूजा होती है।



वे भगवान् शंकर के  गण ओ के मुख्य अधिपति देवता हैं।
भगवान् गणेश की प्रथम पूजा न हो तो कार्य के निर्विघ्न संपन्न होने की आशा कम ही रहती है।


पंच देव उपासना में भगवान् गणेश मुख्य हैं। प्रत्येक कार्य का
 शुभारंभ 'श्री गणेश' अर्थात् उनके स्मरण- वंदन से ही होता है।

भगवान् गणेश बुद्धि के अधिष्ठाता है। वो साक्षात ओंकार रूप हैं। यदि वे आदि ग्रंथ महाभारत के लेखक न बनते तो भगवान् व्यास के इस पंचम वेद से हम सभी वंचित रह जाते।



             
      

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